Department of Hindi (हिंदी)
विभाग के बारे में
इस महाविद्यालय में हिंदी विभाग की शुरुआत जून 1986 में हुई थी। विभाग को शुरु करने का उद्देश्य छात्रों को सिविल सेवा, जनमत विश्लेषक, कॉर्पोरेट प्रबंधक, पत्रकारिता, विदेश सेवा, दुभाषीए, राजभाषा अधिकारी, अनुवादक के रूप में करियर बनाने के लिए तैयार करना है। विभाग नियमित रूप से विभिन्न गतिविधियों के आयोजन में अग्रसर रहता है। विषय की बेहतर समझ पैदा करने के लिए निबंध , सेमिनार, प्रकल्प लेखन और व्याख्यानो का आयोजन किया जाता है। विभाग के प्राध्यापक शिक्षा और अनुसंधान में अच्छी तरह से पात्र और अनुभवी हैं।
उद्देश्य
स्नातकीय पाठ्यक्रम में हिंदी को एक विषय के रूप में शामिल करने का मुख्य उद्देश्य हैl छात्रों में भाषा और साहित्य के प्रति रुचि पैदा करना और संचार की कला में महारथ हासिल करना है। हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा है, मुख्य संपर्क भाषा है इसलिए छात्रों को इस भाषा का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। यह साक्षरता कला शाखा के छात्रों में नैतिक मूल्यों की स्थापना करेगी जो उन्हें इस भौतिकवादी दुनिया में सही दिशा की ओर ले जाएगी। चूँकि साहित्य हमारे समाज का दर्पण है, यह हमारे राष्ट्र की समृद्ध और विविधतापूर्ण संस्कृति को प्रतिबिंबित करेगा। व्याकरण को शामिल करने से छात्र अपने लेखन कौशल को बेहतर बनाने में सक्षम होंगे, जो लंबे समय तक उनके करियर में मदद करेगा।
उपक्रम
भित्तिपत्रिका विमोचन, प्रेमचंद जयंति, हिंदी दिवस, विश्व हिंदी दिवस, अग्रज महाविद्यालय योजना के तहत कार्यशाला, अतिथि व्याख्यान, राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन, अभीष्टचिंतन समारोह, युनिट टेस्ट, सरप्राईज टेस्ट आदि|
प्रमाणपत्र कोर्स और मूल्यवर्धित कोर्स
- सरल हिंदी कक्षा प्रमाणपत्र कोर्स
SWOC मुल्यांकन
बलस्थान
- पात्र तथा अनुभवी प्राध्यापक
- विभागीय ग्रंथालय
- सरल हिंदी पाठ्यक्रम का संचालन
- राष्ट्रीय वेबीनार तथा कार्यशाला का आयोजन
खामिया
- नियमित प्राध्यापको की कमी
- परास्नातकीय विभाग की कमी.
- अनुवाद पदविका / प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू करने की जरुरत
- तकनीकी अधुनातन सुविधाए बढाने की जरुरत
अवसर एवं संभावनाएँ
- परास्नातकीय पाठ्यक्रम की शुरुवात करना
- अनुवाद पदविका/ प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू करना
- तकनीकी सुविधाओ के अभाओ की पूर्ती की जा सकती है
- नजदीकी महाविद्यालयो के हिंदी विभागो के साथ फॅकल्टी एक्सचेंज पध्दती से छात्रो में हिंदी अध्ययन की नई राहो को खोल देना
चुनौतिया
- भाषा प्रयोगशाला/ अधुनातन तकनीकी सुविधाओ तथा अन्य जरुरी पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए अर्थाभाव
- कला शाखा की ओर छात्रो की बढती अरुची
- भौतिक सुविधाओ का अभाव
भविष्य की योजनाएँ
अनुवाद पदविका प्रमाणपत्र कोर्स, राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन, हिंदी नवलेखक शिबीर का आयोजन, आवेदन पत्र, पदाधिकारीयो के नाम पत्र लेखन कार्यशाला एवं प्रमाणपत्र कोर्स, राज्यस्तरीय निबंध तथा वक्तृत्व प्रतियोगिताओ का आयोजन करना|
बेस्ट प्रॅकटीसेस
- सरल हिंदी कक्षा प्रमाणपत्र कोर्स
ब्लॉग की लिंक
https://sbshindi.blogspot.com/
हिंदी विभाग
विभाग के बारे में
इस महाविद्यालय में हिंदी विभाग की शुरुआत जून 1986 में हुई थी। विभाग को शुरु करने का उद्देश्य छात्रों को सिविल सेवा, जनमत विश्लेषक, कॉर्पोरेट प्रबंधक, पत्रकारिता, विदेश सेवा, दुभाषीए, राजभाषा अधिकारी, अनुवादक के रूप में करियर बनाने के लिए तैयार करना है। विभाग नियमित रूप से विभिन्न गतिविधियों के आयोजन में अग्रसर रहता है। विषय की बेहतर समझ पैदा करने के लिए निबंध , सेमिनार, प्रकल्प लेखन और व्याख्यानो का आयोजन किया जाता है। विभाग के प्राध्यापक शिक्षा और अनुसंधान में अच्छी तरह से पात्र और अनुभवी हैं।
उद्देश्य
स्नातकीय पाठ्यक्रम में हिंदी को एक विषय के रूप में शामिल करने का मुख्य उद्देश्य हैl छात्रों में भाषा और साहित्य के प्रति रुचि पैदा करना और संचार की कला में महारथ हासिल करना है। हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा है, मुख्य संपर्क भाषा है इसलिए छात्रों को इस भाषा का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। यह साक्षरता कला शाखा के छात्रों में नैतिक मूल्यों की स्थापना करेगी जो उन्हें इस भौतिकवादी दुनिया में सही दिशा की ओर ले जाएगी। चूँकि साहित्य हमारे समाज का दर्पण है, यह हमारे राष्ट्र की समृद्ध और विविधतापूर्ण संस्कृति को प्रतिबिंबित करेगा। व्याकरण को शामिल करने से छात्र अपने लेखन कौशल को बेहतर बनाने में सक्षम होंगे, जो लंबे समय तक उनके करियर में मदद करेगा।
उपक्रम
भित्तिपत्रिका विमोचन, प्रेमचंद जयंति, हिंदी दिवस, विश्व हिंदी दिवस, अग्रज महाविद्यालय योजना के तहत कार्यशाला, अतिथि व्याख्यान, राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन, अभीष्टचिंतन समारोह, युनिट टेस्ट, सरप्राईज टेस्ट आदि|
प्रमाणपत्र कोर्स और मूल्यवर्धित कोर्स
- सरल हिंदी कक्षा प्रमाणपत्र कोर्स
SWOC मुल्यांकन
बलस्थान
- पात्र तथा अनुभवी प्राध्यापक
- विभागीय ग्रंथालय
- सरल हिंदी पाठ्यक्रम का संचालन
- राष्ट्रीय वेबीनार तथा कार्यशाला का आयोजन
खामिया
- नियमित प्राध्यापको की कमी
- परास्नातकीय विभाग की कमी.
- अनुवाद पदविका / प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू करने की जरुरत
- तकनीकी अधुनातन सुविधाए बढाने की जरुरत
अवसर एवं संभावनाएँ
- परास्नातकीय पाठ्यक्रम की शुरुवात करना
- अनुवाद पदविका/ प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू करना
- तकनीकी सुविधाओ के अभाओ की पूर्ती की जा सकती है
- नजदीकी महाविद्यालयो के हिंदी विभागो के साथ फॅकल्टी एक्सचेंज पध्दती से छात्रो में हिंदी अध्ययन की नई राहो को खोल देना
चुनौतिया
- भाषा प्रयोगशाला/ अधुनातन तकनीकी सुविधाओ तथा अन्य जरुरी पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए अर्थाभाव
- कला शाखा की ओर छात्रो की बढती अरुची
- भौतिक सुविधाओ का अभाव
भविष्य की योजनाएँ
अनुवाद पदविका प्रमाणपत्र कोर्स, राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन, हिंदी नवलेखक शिबीर का आयोजन, आवेदन पत्र, पदाधिकारीयो के नाम पत्र लेखन कार्यशाला एवं प्रमाणपत्र कोर्स, राज्यस्तरीय निबंध तथा वक्तृत्व प्रतियोगिताओ का आयोजन करना|
बेस्ट प्रॅकटीसेस
- सरल हिंदी कक्षा प्रमाणपत्र कोर्स
ब्लॉग की लिंक
https://sbshindi.blogspot.com/